Flow Chart क्या है और क्या फायदे हैं?

जब हम किसी नए जगह में घूमने के लिए जाते हैं तो उस जगह के लिए बिलकुल अनजान होते हैं. इस के लिए हमे एक गाइड की जरुरत पड़ती है जो हमे सब कुछ बता सके और हमे घुमा सके. जो लोग गूगल मैप का इस्तेमाल करना जानते हैं वो खुद ही घूम लेते हैं. लेकिन हम यहाँ नक़्शे की बात क्यों कर रहे हैं. तो मैं आपको बता दूँ की आज हम बात करने जा रहे हैं फ्लो चार्ट के बारे में फ्लो चार्ट क्या है (What is Flow Chart in Hindi) और कैसे बनायें? जब आप किसी प्रोसेस के बारे में जानना चाहेंगे तो फ्लो चार्ट ही वो माध्यम है इसके बारे में पूरी जानकारी देता है.

जब आप मैन्युफैक्चरिंग, प्रोडक्शन, IT filed, या डेवलपमेंट से जुडी किसी कंपनी में जायेंगे तो आपको डिपार्टमेंट के अनुसार हर जगह एक बोर्ड नज़र आएगा जहाँ पर उस डिपार्टमेंट में कैसे काम होता है उसका एक तरह से symbol का इस्तेमाल कर के चार्ट बनाया हुआ मिलेगा. इसे देख कर आप आसानी से समझ सकते हैं  वर्क एरिया में काम की प्रोसेस क्या है और कितने stages हैं.

IT  field में भी flow chart का इस्तेमाल कर सॉफ्टवेयर प्रोग्राम का algorithm लिखने में किया जाता है. इस तरह ये ऐसा तरीका है जिससे की किसी भी process को बस एक झलक में जान सकते हैं. फ्लो चार्ट क्या होता है और इसके प्रकार क्या क्या हैं? चलिए जान लेते  हैं विस्तार से.

flow chart kya hai hindi aur iske prakar

फ्लो चार्ट क्या है – What is Flow Chart in Hindi

फ्लो चार्ट की परिभाषा (Definition of FlowChart in Hindi):  फ्लो चार्ट एक ऐसा डायग्राम होता है जिसके द्वारा किसी प्रोसेस के हर step या events के sequence की जानकारी को symbol के द्वारा दर्शाते हैं. Flow chart एक तरह की पद्धति है जिसका उपयोग किसी process या program को analyze करने, उस में सुधार करने, और साथ ही मैनेज करने के लिए किया जाता है.

फ्लो चार्ट किसी भी प्रोसेस, सिस्टम या कंप्यूटर सॉफ्टवेयर प्रोग्राम का ग्राफ़िकल या symbolic representation होता है. इसमें process के हर step को दर्शाने के लिए एक अलग symbol (चिन्ह) का इस्तेमाल करते हैं.  और साथ ही इस में प्रोसेस के स्टेप के बारे में समझने के लिए छोटा सा description भी लिखा हुआ होता है. प्रोसेस के flow direction को दिखने के लिए इस के हर स्टेप के symbol एक के बाद एक दूसरे के साथ जुड़े हुए होते हैं. इस में हर step को जोड़ने के connecting lines और directional symbols का प्रयोग किया जाता है.

फ्लो चार्ट एक बहुत ही पावरफुल टूल होता है. इसके उचित construction और design से process के स्टेप्स को effectively और efficiently describe किया जा सकता है जो किसी भी दूसरे इंसान को समझाने के लिए काफी होता है. इसमें सबसे ज्यादा जरुरी जो बात है वो ये है की आप इन symbols को अच्छे से समझते हैं या नहीं. अगर आप नहीं जानते की symbol किस समय और कैसे इस्तेमाल करें तो फिर सही फ्लो चार्ट का बनाना मुश्किल होगा.

इस के लिए आपको हर symbol को अच्छे से समझना होगा और जानना होगा की कौन सा symbol का क्या काम है और कब इस्तेमाल करना है. इस तरह आप बड़े ही आसानी से सारे symbols को connect कर के किसी भी process या prgram को बस diagram के द्वारा समझा सकते हैं. तो इसके लिए हम आपको कुछ symbols के बारे में जानकारी देंगे जो फ्लो चार्ट में इस्तेमाल किये जाते हैं.

फ्लो चार्ट symbol क्या है?

आप ये देखेंगे की हर फ्लो चार्ट में अलग अलग shape होते हैं. यहाँ पर हमेशा आपको गोलाकार rounded आकर दिखेगा जो की एक शुरुआत में और एक अंत में होता है और बीच में आपको recangular आकृति भी नज़र आएंगे इन्ही चिन्हों और आकृतियों को Flow chart symbol बोला जाता है.

ऐसे कई symbols हैं जिनका इस्तेमाल इस चार्ट को बनाने में इस्तेमाल कर सकते हैं.अगर आप इस चार्ट या डायग्राम का ज्ञान नहीं रखते हैं और बिलकुल नए हैं तो आपको पहले हर तरह के symbol को समझना होगा इनकी जानकारी लेनी होगी तभी आप बिलकुल सही तरीके से चार्ट बनाने में सफल हो सकेंगे. हर flow chart symbol का एक ख़ास अर्थ होता है जिसे  जानना जरुरी है.

जो सबसे अधिक इस्तेमाल होने वाले बेसिक symbol हैं उन्हें हम यहाँ आपको बता रहे हैं.

Terminator – Start /End Symbol : ये symbol oval shape का होता है इस तरह के डायग्राम को start(शुरू) और end(अंत) करने के लिए प्रयोग करते हैं.

Action/Process: ये एक rectangular symbol होता है जो किसी action को explain करती है.

Decision: डायग्राम के अंदर जब इस तरह का symbol हो तो समझ लें की इसका इस्तेमाल हम कहीं पर निर्णय चुनने के लिए करते हैं यानि की हाँ या न. ये एक तरह से अलग branch बना देती है जो आगे जाकर main flow में जाकर मिल जाती है.

Connector: इस का इस्तेमाल तब होता है जब दो symbol एक के बाद एक हों तो बीच में connector symbol का प्रयोग करते हैं.

Document: जब किसी printed document report को दर्शन हो.

Input/Output: जब किसी process के अंदर कोई material या information अंदर जाता है और बाहर निकलता है तो फिर इस का इस्तेमाल करते हैं.

Manual input Symbol: इस step के माध्यम से  दर्शाया जाता है की जिसमे enter को user को बोला जाता है की वो information का input करें.

Preparation Symbol: इस symbol के जरिये अगले शुरू होने वाले process के setup को represent किया जाता है.

Or Symbol: जब process flow 2 या 2 से अधिक शाखाओं में बांटता हो तो इसका प्रयोग करते हैं.

Summoning Junction: ये फ्लो चार्ट के एक point को दर्शाता है की जहाँ की अलग अलग process आकर मिल जाते हैं.

Merge: इससे एक ऐसे step को दर्शाया जाता है की जहाँ 2 या 2 से अधिक sub list या sub-process मिलकर एक हो जाते हैं.

Collate: इस स्टेप में information को standard format में बदल दिया जाता है.

Flow Chart के प्रकार  – Types of Flow Chart in Hindi

फ्लो चार्ट के अनेको प्रकार हैं जिनका हम प्रयोग करते हैं. नीचे आपको इसके सामान्य प्रकार बता रहे हैं जो ज़्यदातर यूज़ करते हैं.

Process Flow chart 

Process फ्लो चार्ट की अगर हम बात करें तो ये फ्लो चार्ट की केटेगरी का सबसे बेसिक टाइप हैं. अगर आपने अपने चार्ट बनाने की शुरुआत करना छाते हैं तो इससे बेहतर और कोई नहीं है आपके लिए क्यों की इस में किसी सिस्टम के high-level process को describe किया जाता है.

इसके अलावा प्रोसेस फ्लो चार्ट का प्रयोग बहुत से अलग तरीके के लक्ष्य हासिल करने के लिए कर सकते हैं जैसे किसी सिस्टम के मैन्युफैक्चरिंग प्रोसेस या यूजर role के बारे में represent कर सकते हैं.

Swimlane Flow chart 

बहुत सारे ऐसे वर्किंग सिस्टम होते हैं जो सीधे बिज़नेस प्रोसेस नहीं होते हैं. जिसकी वजह से कुछ user के role को, यहाँ तक की departments के interaction को भी प्रदर्शित नहीं किया जाता है. Swimlane flow diagram का प्रयोग करने की मुख्य वजह ये होती है की हर एक executor जो कुछ काम करता है उसको ये दिखा देता है. इसका मतलब आप कभी भी confuse नहीं रहेंगे की किस का क्या role है और किस काम के लिए कौन responsible है.  इसका प्रयोग सिर्फ काम करने वालों के लिए ही नहीं बल्कि system के लिए भी किया जाता है.  बहुत अधिक issue होने पर उसे कण्ट्रोल करना आसान हो जाता है.

Data flow Diagram 

किसी भी सिस्टम को डेवेलोप करने से पहले सिर्फ उसके फंक्शन की ही जानकारी रखना काफी नहीं होता बल्कि कुछ और पहलुओं पर भी नज़र रखना जरुरी होता है जो उस सिस्टम के लिए जरुरी होता है. इनफार्मेशन किस तरह सिस्टम में import होता है उसके अंदर information generation और सिस्टम से information export होने की पूरी जानकारी को चिन्हित करना काफी आसान और जल्दी हो जाता है.

सिस्टम में डाटा का क्या हुआ इसके बारे में आप discussion कर सकते हैं ये सुविधा इस चार्ट से हमे मिलता है. और इसकी सबसे ख़ास बात ये है की इसको पूरा कर लेते हैं तो आपके पास जितने भी सवाल होंगे उन सभी जवाब मिल जायेगा.

Workflow Diagram 

Work Flow Chart को हम प्रोसेस फ्लो चार्ट का advanced version भी बोल सकते हैं. इसका प्रयोग तब करते हैं जब आप किसी प्रोसेस के बारे में थोड़ा बहुत पहले से जानते हैं और इसके हर step और scenario को describe करते हैं. इस की सबसे ख़ास बात ये है की इस चार्ट की मदद से बहुत ही आसानी से problematic areas को आसानी से spot कर सकते हैं या पहचान सकते हैं, और कुछ cases में system के बेहवियर पर फोकस भी कर सकते हैं.

इस चार्ट को बनाने में आपको कुछ समय लग सकता है. इसके लिए मेहनत करने पर आपको बेशक  है. इस का फायदा सिर्फ डॉक्यूमेंट को तैयार करने और उस पर चर्चा के लिए नहीं बल्कि ट्रेनिंग और चल रहे प्रोसेस के लिए भी कर सकते हैं.

फ्लो चार्ट का इतिहास – History of flow Chart in Hindi

फ्लो चार्ट का इस्तेमाल बहुत पहले से ही किया जाता रहा है. बहुत कम लोग होंगे जिन्होंने फ्लो  चार्ट का उपयोग  रूप में न इस्तेमाल किया हो. पहले फ्लो चार्ट को हाथ से बनाया जाता था. जिस में बाद में  बदलाव करना मुश्किलों भरा काम होता है. चार्ट को सुधरने में उसमे गड़बड़ी हो जाती है. वो इंसान Frank Gilberth थे जिन्होंने 1921 में ASME के सदस्यों के सामने सबसे पहला फ्लो चार्ट बनाकर दिखाया. 1930  के आते आते Flow charts का उपयोग industrial engineering में भी होने लगा.  शुरूआती दौर में ही Allan H. Mongensen जो की एक industrial engineer थे जिन्होंने New York में काम को और और आसान बनाने के लिए industrial tools का प्रयोग करने के लिए लोगों को ट्रेनिंग ट्रेनिंग दी.

Art Spinanger नाम के ग्रेजुएट ने delibrate method डेवेलोप किया वहीँ Ben S. Graham ने फ्लो चार्ट का इस्तेमाल इनफार्मेशन को प्रोसेस करने लिए किया. इसके लिए उसने multi-process फ्लो चार्ट का इस्तेमाल किया. जिससे उन्होंने बहुत सारे डॉक्युमनेट्स का काम उससे जुड़े सभी तथ्यों के साथ किया.

जब कंप्यूटर का विकास हुआ और ग्राफ़िक्स का इस्तेमाल होने लगा तो सबसे पहला फ्लो चार्ट सॉफ्टवेयर प्रोग्रामर्स के लिए डेवेलोप किया गया. जब माउस और दूसरे menu का इज़ाद हुआ तो फ्लो चार्ट में कुछ भी बदलाव करना बिलकुल आसान हो गया. Flow चार्ट का प्रोग्राम इस्तेमाल करना बहुत आसान हो गया और साथ ही इसमें काम भी बहुत जल्दी होने लगा.

इस चार्ट की मदद से एक काम करने के तरीके को फोटो में बदल दिया गया जिसे समझना काफी आसान हो गया और इसके लिए बस कुछ सेंड्स लगते हैं.

फ्लो चार्ट कैसे बनाये – How to create Flow Chart in Hindi

वैसे तो फ्लो चार्ट बनाने के लिए अनेको सॉफ्टवेयर हैं जैसे Microsoft visio इत्यादि लेकिन ये हर किसी के पास उपलब्ध नहीं होता इसीलिए हम यहाँ आम तोर पर प्रयोग होने वाले सॉफ्टवेयर मैक्रोस्फोट एक्सेल का उपयोग करेंगे. इस के लिए सब से पहले हम कोई एक ऐसा वर्किंग प्रोसेस उदाहरण के तोर पर लेंगे जिसका अभी भी practically काम होता है.

यहाँ हम Car body parts मैन्युफैक्चरिंग प्रोसेस के लिए फ्लो चार्ट तैयार करेंगे. सबसे पहले चलिए इसके प्रोसेस बार जान लेते हैं की आखिर इस में कौन कौन से स्टेप्स हैं और इन में क्या क्या काम होता है.

  • Raw Material In – सबसे पहला स्टेप तो यही होता है की sheet metal के रूप में raw material किसी particular shape और size में plant में मंगवाया जाता है जो की Store के अंदर में receive किया जाता है लेकिन इसके पहले का काम incoming quality करती है.
  • यहाँ पर material verify हो जाने के बाद store में रखा जाता है और जिसके बाद Production वाले Planning के अनुसार उस material को issue करा कर अपने workplace में ले जाते हैं.
  • Press shop में इस मटेरियल में कुछ operation perform कर लेने के बाद इसको required shape में बनाने के लिए stamping process किया जाता है.
  • जब raw material/blank एक पार्ट के रूप में बन जाता है तो फिर उसे inspection के लिए Quality department में भेज दिया जाता है जहाँ 100% part level inspection किया जाता है.
  • Inspection के दौरान decision लेने का काम किया जाता है जिसमे काम करने वाले OK और NOT OK देखते हैं. अगर पार्ट rework करने लायक है तो उसे reqork के लिए भेज देते हैं और अगर rejection है तो फिर उसे reject कर देते हैं.  जो पार्ट OK होता है उसे dispatch department को भेज दिया जाता हैं.
  • Dispatch department billing के साथ मटेरियल को customer के पास भेजती हैं. और इस तरह ये प्रोसेस यहाँ पर ख़तम हो जाता है और एक cycle की तरह चलता रहता है.

चलिए अब हम इसके main points को notedown कर लेते हैं और उस आधार पर हम Flow chart बनाना शुरू करेंगे.

  1. Material Received at Store
  2. Decision OK or NOT OK by incoming Quality
  3. Material sent to Production
  4. Stamping process on the blank/rm
  5. Part is moved to PDI (Pre-Dispatch Inspection) Quality department
  6. Decision OK or NOT OK then the part is moved to Dispatch

 

  1. Finally with the billing part is sent to the customer.

Flow Chart diagram

अगर आप माइक्रोसॉफ्ट एक्सेल की मदद से फ्लो चार्ट तैयार करना चाहते हैं तो ये बहुत ही आसान काम है. इसके लिए माइक्रोसॉफ्ट एक्सेल में हमे इस तरह के चार्ट बनाने के लिए सभी तरह shape मिलते हैं जिसे आप Insert-Shapes में जाकर enable कर सकते हैं.

menu in excel for flow chart

संक्षेप में

आज हमने इस पोस्ट के माध्यम से जाना की फ्लो चार्ट का मैन्युफैक्चरिंग इंडस्ट्रीज में क्या महत्व है. ये काम करने के हर प्रोसेस को डायग्राम के जरिये बहुत ही आसान तरीका देता है जिससे कोई भी बस देख कर पुरे प्रोसेस को समझ सके. आपने आज जाना की फ्लो चार्ट ( Whatis Flow Chart in Hindi) इस पोस्ट के जरिये ने आपने ये भी जाना की फ्लो चार्ट के प्रकार क्या हैं. फ्लो चार्ट में इस्तेमाल होने वाले symbol कौन कौन से हैं और इनको कैसे इस्तेमाल करना है?

किसी भी प्रोड्कशन वाली कंपनी में जब आप जाते हैं तो ये हर एरिया में आपको बिलकुल एक नक़्शे की तरह की बोर्ड में लगा हुआ मिलता है. जब कोई नया इंसान उस जगह पर जाता है तो उसे इस चार्ट की मदद से वहां किये जाने वाले प्रोसेस के बारे में जानकारी मिल जाती है. आपको ये पोस्ट कैसी लगी अगर अच्छी लगी हो तो इस अपने दोस्तों के साथ जरूर शेयर करें अगर आपको कुछ भी जानना हो तो कमेंट कर के जरिये पूछ सकते हैं.

Wasim Akram

वसीम अकरम WTechni के मुख्य लेखक और संस्थापक हैं. इन्होंने इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की है लेकिन इन्हें ब्लॉगिंग और कैरियर एवं जॉब से जुड़े लेख लिखना काफी पसंद है.

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